यूपीए-2 में जीडीपी ग्रोथ 2.2% और भाजपा सरकार में 1.3% तक घटी, 10 साल में बेरोजगारी दर 4% बढ़ी

 मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक सुस्ती से निपटने की है। चालू वित्त वर्ष (2019-20) में जीडीपी ग्रोथ रेट 5% रहने की संभावना है, जो 11 साल में सबसे कम होगी। बेरोजगारी दर भी बढ़ती जा रही है। पिछले साल ही सरकार की एक लीक रिपोर्ट से पता चला था कि देश में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा है। 'अच्छे दिन आने वाले हैं' का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार में क्या वाकई अच्छे दिन आए भी या देश अभी भी पहले की तरह ही है। इसे जानने के लिए यूपीए-2 और भाजपा के अब तक के कार्यकाल में जीडीपी ग्रोथ, महंगाई, रोजगार और टैक्स कलेक्शन का एनालिसिस किया।

जीडीपी ग्रोथ 
जीडीपी यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (सकल घरेलू उत्पाद)। किसी भी देश की आर्थिक हालत को मापने का पैमाना जीडीपी ग्रोथ ही होती है। अगर जीडीपी बढ़ रही है तो देश की आर्थिक हालत अच्छी है, लेकिन जीडीपी घट रही है तो देश की आर्थिक स्थिति खराब है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 की दूसरी तिमाही तक जीडीपी ग्रोथ रेट 4.5% रही और पूरे वित्त वर्ष (2019-20) में ये 5% ही रहने का अनुमान है। जबकि, 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.1% थी। यानी एक साल में जीडीपी ग्रोथ रेट 1.1% तक घट गई।


यूपीए-2 का कार्यकाल मई 2009 से मई 2014 तक रहा। वित्त वर्ष के लिहाज से 2009-10 से लेकर 2013-14 तक। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2009-10 में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.6% थी जो 2013-14 तक घटकर 6.4% पर आ गई। यानी, यूपीए-2 में जीडीपी ग्रोथ 2.2% तक गिर गई। भाजपा सरकार मई 2014 से है और वित्त वर्ष के लिहाज से देखें तो 2014-15 से है। 2014-15 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4% थी, जो 2018-19 तक घटकर 6.1% पर आ गई। यानी, मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में जीडीपी ग्रोथ रेट 1.3% की कमी आई है। 


आम आदमी पर क्या असर: जीडीपी ग्रोथ रेट कम होने का असर देश की आर्थिक हालत ही नहीं बल्कि आम लोगों पर भी होता है। जीडीपी ग्रोथ कम होती है, तो नौकरियां कम होती हैं और इनकम की ग्रोथ भी कम रहती है। उदाहरण के लिए- 2018-19 में प्रति व्यक्ति मासिक आय 10,534 रुपए थी। अगर जीडीपी ग्रोथ 5% रहती है तो 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय में सिर्फ 526 रुपए का इजाफा होने के आसार हैं।

टैक्स कलेक्शन
सरकार ने मार्च 2020 तक 13.5 लाख करोड़ रुपए के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य तय किया था, लेकिन पिछले दिनों न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार को डायरेक्ट टैक्स से 23 जनवरी तक सिर्फ 7.3 लाख करोड़ रुपए मिल पाए। यूपीए-2 के कार्यकाल में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 69% बढ़ा था। 2009-10 में सरकार को इससे 3.78 लाख करोड़ रुपए मिले थे, जो 2013-14 तक बढ़कर 6.38 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया। वहीं, मोदी सरकार में 2014-15 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 6.95 लाख करोड़ रुपए था, जो 2018-19 में 63% बढ़कर 11.37 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया।


 


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